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पुरानी पेंशन पर सरकारी कर्मचार‍ियों ने क्‍यों दी हड़ताल की धमकी? जान‍िए पूरा मामला
 

NPS vs OPS: कई राज्‍य सरकारों ने प‍िछले द‍िनों ओपीएस (OPS) को बहाल कर द‍िया है. इसके बाद दूसरे राज्‍यों के कर्मचारी और केंद्रीय कर्मचारी भी पुरानी पेंशन को लागू करने की मांग कर रहे हैं. ओपीएस को लागू नहीं करने पर हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है.

 
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What is NPS: केंद्रीय कर्मचार‍ियों समेत कई राज्‍य सरकारों के कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना (old pension schem) को फ‍िर से लागू करने की मांग कर रहे हैं. अब उत्‍तर प्रदेश सरकार के कर्मचारी नेशनल पेंशन स्‍कीम (NPS) लागू होने से खुश नहीं हैं. उनकी मांग है क‍ि ओल्‍ड पेंशन स्‍कीम (OPS) को फ‍िर से लागू क‍िया जाए. सितंबर 2023 से देशभर में अलग-अलग राज्‍यों के सरकारी कर्मचारी अपनी मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. पिछले हफ्ते असम में कई दफ्तरों के बाहर सरकारी कर्मचार‍ियों की तरफ से प्रदर्शन क‍िये गए.

राजधानी द‍िल्‍ली में किया गया चौथा बड़ा प्रदर्शन

प‍िछले साल नवंबर में केंद्र और राज्य सरकारों के हजारों कर्मचारी और पेंशनर्स दिल्ली के रामलीला मैदान में जमा हुए. इन लोगों ने केंद्र सरकार से पुरानी पेंशन योजना (OPS) को तुरंत वापस लाने की मांग की. यह पुरानी पेंशन को फिर से लागू करने के मामले पर राजधानी में किया गया चौथा प्रदर्शन था. दूसरी तरफ रेलवे के कई कर्मचारी संगठनों ने भी चेतावनी दी है कि यद‍ि पुरानी पेंशन योजना (OPS) को लागू करने की मांग नहीं मानी गई तो वे 1 मई से देशभर में ट्रेन सेवाएं बंद कर देंगे.

NPS के ख‍िलाफ क्‍यों है सरकारी कर्मचारी
पुरानी पेंशन योजना (OPS) को बहाल करने की मांग कर रहे संगठनों के अनुसार जनवरी 2004 के बाद सरकारी नौकरी करने वालों को रिटायरमेंट के बाद की ज‍िंदगी की चिंता है. उनका कहना है कि नई पेंशन योजना (NPS) के तहत हर महीने तनख्वाह से 10% पैसा काटना ठीक नहीं है. एनपीएस में कर्मचारी 10% पैसा पेंशन फंड के लिए देता है और सरकार 14% पैसा देती है. कर्मचारियों का यह भी तर्क है क‍ि सरकार के पास कर्मचारियों की सही संख्या का रिकॉर्ड नहीं है, इसलिए कई बार सरकारी कर्मचारियों के फंड में पैसा जमा नहीं हो पाता. रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली पेंशन इसी फंड पर निर्भर करती है. एनपीएस में महंगाई भत्ता (DR) नहीं मिलता.

ओल्‍ड पेंशन स्‍कीम क्‍या है?
पुरानी पेंशन योजना (OPS) को 1950 के दशक में शुरू क‍िया गया था. योजना के तहत, रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी को हर महीने आखिरी मिलने वाली बेसिक सैलरी का 50% पेंशन के रूप में मिलता है. इसके अलावा, रिटायरमेंट पर या पिछले 10 महीनों की इनकम का औसत, जो भी ज्यादा हो उस पर महंगाई भत्ता (DA) भी मिलता था. इस फायदे को लेने के ल‍िए सरकारी नौकरी में कम से कम 10 साल पूरे करने जरूरी थे. इस योजना में कर्मचारियों को क‍िसी प्रकार का पैसा जमा नहीं करना पड़ता था और मिलने वाली पेंशन पर टैक्स भी नहीं लगता था. सरकार की तरफ से साल 2003 में ओपीएस बंद कर द‍िया गया. हालांक‍ि इसे लागू 1 अप्रैल 2004 से क‍िया गया.

यहां बहाल की गई पुरानी पेंशन योजना
राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश जैसे कुछ राज्यों ने इसे वापस लाने की घोषणा की है. पश्‍च‍िम बंगाल ने कभी भी एनपीएस लागू नहीं किया. हर महीने मिलने वाली पेंशन से रिटायरमेंट के बाद जिंदगी भर कमाई का एक पक्का जरिया मिल जाता है. पुरानी पेंशन योजना का सबसे बड़ा फायदा यह है क‍ि इसके ल‍िए कर्मचारियों की तनख्वाह से क‍िसी तरह का पैसा नहीं काटा जाता, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर बोझ कम होता है. साथ ही रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली पेंशन पर भी क‍िसी तरह का टैक्स नहीं लगता. अगर कर्मचारी खुद चाहें तो वे अपनी पेंशन राशि को बढ़ाने के लिए और पैसा जमा भी कर सकते हैं.

एनपीएस क्‍या है?
नए पेंशन सिस्टम (NPS) में राज्य सरकार के कर्मचारी अपनी बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते का 10% राश‍ि जमा करते हैं. इसके अलावा सरकार की तरफ से 14% पैसा जमा क‍िया जाता है. यह पैसा पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) द्वारा मंजूर किए गए फंड्स में से किसी एक में लगाया जाता है. इस फंड का रिटर्न शेयर बाजार से जुड़ा होता है, इसलिए यह न‍िश्‍च‍ित नहीं है कि आपको कितना पैसा मिलेगा. रिटायरमेंट के बाद, जमा पूंजी (कॉर्पस) का 60% टैक्स-फ्री होता है, जबकि बचे हुए 40% को एन्युटी (निवेश योजना) में लगाने पर टैक्स देना पड़ता है.