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What is Elgar Parishad Case: सुप्रीम कोर्ट ने गौतम नवलखा से 1.6 करोड़ रुपये के सिक्योरिटी बिल पर कहा, 'आपने मांगी, आप भुगतान करें'

Bhima koregaon violence case: भीमा कोरेगांव युद्ध की 200वीं सालगिरह पर एल्गार परिषद् का दो दिवसीय आयोजन वर्ष 2017-18 में हुआ था जिसके बाद यहां हिंसा भड़क उठी थी। पुलिस ने इसका जिम्मेदार इस आयोजन से जुड़े लोगों को माना और कई सदस्यों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई।

 
ELGAR PARISHAD CASE

Elgar Parishad case or Bhima Koregaon Violence? सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा एल्गार परिषद मामले में गौतम नवलखा (Social Activist Gautam Navlakha) को घर में नजरबंद रखने पर हुए खर्च 1.64 करोड़ रुपये का बिल पेश करने के बाद नवलखा को स्पष्ट कर दिया कि उन्हें राशि का भुगतान करना होगा। कोर्ट ने इस राशि के भुगतान के लिए गौतम नवलखा को एक सप्ताह की मोहलत दी है।

यह तय करने का समय आ गया है कि वह जांच एजेंसी के खर्च का वहन कैसे करेंगे। न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने कहा कि यह रकम उनकी घर में नजरबंदी के दौरान उनकी सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मी उपलब्ध कराने पर खर्च की गई थी। पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि यह गौतम नवलखा ही थे जिन्होंने घर में नजरबंदी की मांग की थी और उनसे भुगतान पर जल्दी फैसला लेने को कहा क्योंकि राशि बढ़ती रहेगी। एल्गार परिषद मामले में सामाजिक कार्यकर्ता नवलखा नवंबर 2022 से ही घर में नजरबंद हैं।

नवलखा के वकील ने खर्च का पूरा ब्योरा मांगा

कोर्ट ने कहा, "अगर खुद ही इस व्यवस्था की मांग थी इसलिए इस राशि का आपको भुगतान करना ही होगा। आप अपने दायित्व से बच नहीं सकते।" गौतम नवलखा की ओर से पेश वकील शादान फरासत ने कहा कि भुगतान टालने का कोई सवाल ही नहीं है लेकिन एनआईए एजेंसी को उस 1.6 करोड़ रुपये के खर्च का ब्योरा देना चाहिए जिसका उसने दावा किया है।

बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई

एनआईए की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि अदालत द्वारा बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश की वैधता, उसे जमानत देने और बाद में शीर्ष अदालत द्वारा उस पर रोक लगाने के मामले में आगे की सुनवाई से पहले आरोपी को कुछ भुगतान करना होगा ताकि उनकी नजरबंदी और उनकी सुरक्षा जारी रखी जा सकेगी। उच्च न्यायालय, अदालत के उस आदेश के खिलाफ एनआईए की अपील पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उन्हें जमानत दी गई थी।

बिगड़ते स्वास्थ्य का हवाला देकर नजरबंदी की मांग की गई थी

कोर्ट ने संक्षिप्त सुनवाई के इसे मामले को 19 अप्रैल के लिए स्थगित कर दिया और नवलखा की जमानत पर अंतरिम रोक बढ़ा दी। बॉम्बे HC ने पिछले साल 19 दिसंबर को नवलखा को जमानत दे दी थी लेकिन एनआईए द्वारा SC में आदेश के खिलाफ अपील करने के लिए समय मांगने के बाद अपने आदेश को तीन सप्ताह के लिए स्थगित रखा गया था। 10 नवंबर 2022 को SC ने नवलखा को जो उस समय नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद थे उनके "बिगड़ते स्वास्थ्य" का हवाला देते हुए किए गए अनुरोध के अनुसार घर में नजरबंद करने की अनुमति दी थी।

क्या है एल्गार परिषद?

आइए जानते हैं कि एल्गार परिषद क्या है? दरअसल यह एक तरह की सभा या रैली का आयोजन है। इस सभा में कई सामाजिक कार्यकर्ता, पूर्व जज, आईपीएस अधिकारी और कई दलित चिंतक इकट्ठा होते हैं। इस आयोजन में दलितों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ अपनी बात मजबूत करने के लिए विचार-विमर्श किया जाता है।

वर्ष 2017 की 31 दिसंबर और वर्ष 2018 में 1 जनवरी को जब इसका आयोजन हुआ तो उसके बाद भीमा कोरेगांव हिंसा भड़क गई थी। इस हिंसा का कारण एल्गार परिषद को माना गया। पुलिस ने भी हिंसा की वजह एल्गार परिषद को ही माना। एल्गार परिषद में लोगों की ओर से दिए गए भाषणों पर सवाल उठे और कथित तौर पर उन्हें भड़काऊ भाषण माना गया। पुलिस की ओर से इस परिषद से जुड़े कई लोगों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई थी।

भीमा कोरेगांव युद्ध की 200वीं सालगिरह पर हुआ आयोजन

इस परिषद के तरत पहली बार तो 2017 में 31 दिसंबर को पुणे के शनिवारवाडा फोर्ट में एक सभा आयोजित की गई थी। इसमें करीब 35 हजार लोग परिषद में शामिल हुए थे। इसमें 200 से ज्यादा एनजीओ और कई अन्य हस्तियां भी शामिल हुई थीं। यह सभा भीमा कोरेगांव युद्ध की 200वीं सालगिरह पर आयोजित की गई थी।

आपको मालूम हो कि 2017 के बाद इसका आयोजन नहीं हो पाया। पहले 2019 में जनवरी में इसका आयोजन होना था लेकिन पुलिस ने इसकी इजाजत नहीं दी थी। इस साल की 30 जनवरी को पुणे के गणेश कला क्रीड़ा मंच में इसका आयोजन किया गया। दरअसल 30 जनवरी को रोहित वेमुला का जन्मदिवस होता है और इस उपलक्ष्य में इसका आयोजन किया गया था।